बिल्ली का न्याय

पंचतंत्र की कहानी : बिल्ली का न्याय

बिल्ली का न्याय:-एक बार एक जंगल में एक खोखले पेड़ में एक चकोर रहता था उसी पेड़ के आसपास कई और पेड़ थे जिनपर फल और बीज उड़ते थे उन फल और बीजो को खाकर वह चकोर मस्त रहता था एक दिन उड़ते उड़ते एक और चकोर उसी पेड़ की टहनी पर आराम करने के लिए बैठ गया वह दोनों आपस में बाते करने लगे, दूसरे चकोर को यह जानकर आश्चर्य हुआ की वह केवल पेड़ो के फल और बीज चुग कर जीवन गुजार रहा था।

दूसरे ने उसे बताया की भाई खाने के लिये जीवन में केवल फल और बीज ही नही होते, और भी कई स्वादिष्ट चीज है उन्हें भी खाना चाहिए खेतो में उगने वाले अनाज तो बेजोड़ होते है “कभी अपने खाने का स्वाद बदल कर भी तो देखो” दूसरे चकोर के उड़ने के बाद वह सोच में पढ़ गया उसने फैसला किया की कल ही वो उसे नजर आने वाली खेतो के नाम वाली जगह जाएगा और उस अनाज नाम वाली चीज का स्वाद चक्ख कर देखेगा।

दूसरे दिन चकोर उड़ कर एक खेत में उतरा खेत में धान की फसल उगी हुई थी ‘चकोर ने कूपले खाई उसे वो बोहोत स्वादिष्ट लगी उस दिन के भोजन में उसी इतना आनंद आया की वह खाकर तृप्त होगया वह वही सो गया इसके बाद भी वो वही पड़ा रहा रोज खता पीता और सोजाता  6-7 दिन बाद उसे होश आया के अब घर लौटना चाहिए।

इस बीच एक खरगोश घर की तलाश में घूम रहा था उसके बिल में पानी घुसने की वजह से उसका घर ख़राब हो गया था, चकोर का पेड़ खाली देख कर उसने उसपर अधिकार जमा लिया और वहा रहने लगा। जब चकोर वापस आया तो उसने देखा की उसके घर पर तो किसी और का कब्ज़ा हो गया है चकोर क्रोदित होकर बोला ऐ भाई तू कौन है और मेरे घर में क्या कर रहा है। खरगोश दांत दिखा कर बोला में इस घर का मालिक हूँ में इस घर में पिछले 7 दिनों से रह रहा हूँ। चकोर गुस्से से फट पड़ा 7 दिन भाई में इस घर में कई सालो से रह रहा हु किसी भी आसपास के पक्षी या चकोर से पूछ लो, खरगोश बात काटते हुए कहता है में यहाँ आया यह खो खाली पड़ा था में यहाँ बस गया अब में पड़ोसियों से क्यों पूछता फिरूं। चकोर गुस्से में चिल्लाते हुए बोला वाह अगर कोई घर खाली मिला तो इसका मतलब यह थोड़ी है की वहा कोई नही रहता। में आखरी बार कहता हूँ शराफत से मेरा घर खाली करदे वरना, खरगोश ने भी उसे ललकारा वरना क्या? यह घर मेरा है तुझे जो करना है करले।

चकोर सहम गया वह मदद की फरियाद लेकर पड़ोसी पक्षियों के पास गया सबने दिखावे की हूँ-हूँ की लेकिन कोई ठोस रूप से मदद करने सामने नहीं आया। एक बूढ़े पड़ोसी ने कहा ज्यादा झगड़ा बढ़ाना अच्छा नही तुम दोनों आपस में कोई समजोता कर लो लेकिन समजोता करने की कोई सूरत मौजूद नहीं थी खरगोश किसी सूरत में खो छोड़ने को राज़ी नही था अंत में एक लोमड़ी ने कहा तुम दोनों किसी ज्ञानी-ध्यानी को अपना पांच बना कर अपना फैसला करवालो, दोनों को यह फैसला पसंद आया।

दोनों पांच की तलाश में इधर उधर घूमने लगे, इसी प्रकार वे दोनों घूमते-घूमते एक दिन गंगा के किनारे आ निकले वहा उन्हें जप-तप में मगन एक बिल्ली नजर आई बिल्ली के माथे पर तिलक था गले में जनेऊ और हाथ में माला लिया मृग छाल पर बैठी वो पूरी तपस्विनी लग रही थी। उसे देख कर चकोर और खरगोश खुशी से उछल पड़े उन्हे भला इसे अच्छा ज्ञानी ध्यानी पांच और कहा मिल सकता है खरगोश ने कहा चकोर जी क्योंना इस्से हम अपने झगडे का फैसला करवाए, चकोर पर भी बिल्ली का अच्छा प्रभाव पड़ा था चकोर बोला मुझे कोई अप्पति नही है पर हमें ज़रा सावधान रहना चाहिए, खरगोश पर तो बिल्ली का जादू चल गया था उसने कहा अरे नहीं देखते नहीं हो यह बिल्ली सांसारिक मोह माया त्याग कर तपस्विनी बन गई है सच्चाई तो यही थी बिल्ली उन जैसे मुर्ख जीवो को फ़साने के लिये ही भक्ती का नाटक कर रही थी।

फिर चकोर और खरगोश पर और प्रबावः डालने के लिए वो जोर जोर से मंत्र पढ़ने लगी खरगोश और चकोर ने उसके निकट आकर हाथ जोड़ कर जयकारा लगाया “जय माता दी” ‘माता जी को प्रणाम हो’ बिल्ली ने मुस्कुराते हुए धीरे से अपनी आंख खोली और “आशीर्वाद दिया आयुष्मान भवः” तुम दोनों के चेहरे पर चिंता की लकीरे है क्या कष्ट है तुम दोनों को बच्चो, चकोर ने बिनती की माता हम दोनों के बीच एक झगड़ा है हम चाहते है की आप उसका फैसला करे बिल्ली ने पलके झपकाई हरे राम-हरे राम तुम्हे झगड़ना नहीं चाहिए प्रेम और शांति से रहो उसने उपदेश दिया और पूछा बताओ तुम्हारा बीच झगड़ा क्या है चकोर ने मामला बताया खरगोश ने अपनी बात बताने के लिया मुँह खोला ही था की बिल्ली ने पंजा उठा कर रोका और बोली बच्चो में काफी बूढ़ी हु ठीक से सुनाई नहीं देता आंखे भी कमजोर है इसलिया तुम दोनों मेरे पास आकर मरे कान में जोर से अपनी अपनी बात कहो ताकि में झगडे का कारन जान सकू और तुम दोनों को न्याय दे सकू, वे दोनों भक्तिन बिल्ली के बिलकुल निक्कट आगए ताकि उसके कानो में अपनी अपनी बात कह सके।

बिल्ली को तो इसी मोके की तलाश थी उसने म्याऊं-म्याऊं की आवाज लगाई और एक ही झप्पट्टे में खरगोश और चकोर का काम तमाम कर दिया फिर वो आराम से उन्हें खाने लगी। 

शिक्षा

इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है की दो के झगडे में हमेशा तीसरे का फायदा हो जाता है इसलिया झगड़ो से हमेशा दूर रहना चाहिये।

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