भारत देश त्योहारों का देश कहा जाता है क्योंकि हमारे देश में कई त्यौहार बड़े धूम धाम से मनाये जाते है इन में से एक त्यौहार है दिवाली या दीपावली यह त्यौहार भारत का सबसे प्रिय और महत्वपुर्ण त्यौहार है इस दिन भारत में घर घर दिए जलाये हजाते है और माता लक्ष्मी और श्री गणेश जी पूजा करते है यह त्यौहार हर साल अक्टूबर के अंत में और नवंबर के महीने में आता है इस दिन भारत में लोग एक दूसरे से गले मिलके और मिठाई खिलाकर एक दूसरे के साथ इस त्यौहार को बड़े ही आनंद के साथ मनाते है बचे इस दिन पटाके फोड़ते है। और यही नहीं दिवाली (Diwali) या दीपावली को दीपो का त्यौहार बोला जाता है क्योंकि यह त्यौहार बुराई पे अच्छाई का और अँधेरे पर प्रकाश की जीत का प्रतीक है अब आप यह सोच रहे होंगे की ऐसा क्यों होता है दिवाली क्यों मनाई जाती है, इसका महत्त्व क्या है, तो आज हम इस लेख में यही बताने जा रहे है की हम दिवाली क्यों मनाते है और यह इत्तनी महत्वपृर्ण क्यों है। तो आइये शुरू करते है।
दीपावली या दिवाली क्यों मनाई जाती है, (Why we celebrate Diwali)
भारत देश में दिवाली (Diwali) या दीपावली त्यौहार को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है यह पर्व कार्तिक माह की अमावस्या को मनाया जाता है और भारत में दीपावली को सब मिल-झूल कर मनाते है जैसे हिंदू, जैन, और बौद्ध धर्मं के लोग पर इन सब लोगो को इस त्यौहार को मनाने की मान्यता अलग है। तो अब आइये जानते है कुछ कारण की दिवाली (Diwali) क्यों मनाई जाती है।
1. श्री भगवान राम की रावण वध के बाद घर वापसी की खुशी में
पौराणिक कथाओ के अनुसार श्रीराम को 14 वर्षो का वनवास हुआ था। माता कैकई श्री राम जी को अपने बेटे जैसा प्रेम और स्नेह करती थी पर उनकी मंथरा नाम की एक दासी ने श्री राम के खिलाफ भड़का दिया और उनके मन में श्री राम के लिए बुराई पैदा कर दी। तब माता कैकई ने मंथरा की बाते सुनकर आयोध्या के राजा दशरथ को अपने वचन से बांध दिया। महाराज ने दिए गए वचन से विवश होकर श्री राम को 14 वर्ष के लिए वन में रहने का आदेश दिया। तब श्री राम ने अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए वनवाँ के लिए जाने लगे। जैसे ही वह वन के लिए जाने लगे तब उनकी पत्नी सीता और छोटा भाई लक्ष्मण ने भी जाने की हट करी तब वह तीनो सब का आशीर्वाद प्राप्त करके वनवास के लिए निकल पड़े।
वन में आने के बाद श्री राम अपनी पत्नी और भाई के साथ साधुओ का जीवन जीने लगे और कुटिया में रहने लगे। एक बार जब श्री राम और सीता माता अपनी कुटिया के आँगन में बैठे थे और लक्ष्मण जी लकडिया काट रहे थे तब वहा एक सूर्प नखा नाम की एक राक्षसी आई वह श्री राम पर मोहित हो गई उस ने श्री राम के लिए विवाह का प्रस्ताव दिया श्री राम ने इंकार करते हुए बोले की मेरा विवाह हो गया है मेरी सीता नाम की सुन्दंर पत्नी है तुम मेरे छोटे भाई लक्ष्मण से पूछ लो पर वह हट करने लगी और फिर लक्ष्मण जी ने क्रोध में आके उसकी नाक काट दी। सूर्प नखा रावण की बहन थी और उसने यह सारी घटना रावण को बताई।
रावण ने अपनी बहन के इस अपमान का प्रतिशोद लेने के लिए सीता माता को हार्न करने की योजना बनाई उस ने अपने मामा मारीच की सोने का हिरन बना कर सीता माता के सामने जाने को कहा उस हिरन को देख कर माता सीता श्री राम से हट करने लगे की मुझे वो हिरन चाहिए। श्री राम उस हिरन के पीछे जंगल में चले जाते है काफी समय बीत जाने के बाद वो उनकी चिंता करने लगती है और लक्ष्मण को उनके पीछे जाने का आदेश देती है लक्ष्मण जी उनकी आज्ञा का पालन करते हुई श्री राम के पीछे वह भी जंगल में चले जाते है तब रावण मोके का फायदा उठाके रूप बदल के माता सीता को हर लेता है।
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अब भगवान श्री राम अपने छोटे भाई लक्ष्मण के साथ सीता-सीता करते हुए वन-वन भटकने लगे। कई दिनों तक भटकते भटकते उनकी भेट वानर राज सुग्रीव जी और हनुमान जी से होती है सुग्रीव अपनी सारी सेना को माता सीता को खोजने में लगा देते है वह हर नगरों में खोजते रहे पर उन्हें कोई सुचना नहीं मिली खोजते खोजते वह भारत की आखरी सिमा तक पहुँच जाते है समुद्र के उस तट पर उनकी भेट पक्षी राज सम्पाती से होती है जो झटायु के बड़े भाई थे। वह उन्हें बताते है की रावण माता सीता को लंका लेके गया है।
माता सीता की सुचना मिलने पर अब श्री राम बिना देर किये सुग्रीव की वानर सेना, हनुमान जी, अंगद, नल और नील, जावंत जी के साथ लंका पर धावा बोल दिया। वह पथरो का पुल्ल बनाके समुद्र पार करते है और लंका पहुँच जाते है। तब उन्होंने रावण की सेना के साथ घमासान युद्ध किया और रावण का वध करके माता सीता को रिहा करवाया। और तब से इस दिन को भारत में दशहरे के रूप में मनाया जाता है और इस के २० दिन बाद माता सीता और अपने छोटे भाई लक्ष्मण को लेके आपने राज्य अयोध्या वापिस आये थे तब से इस दिन को दिवाली (Diwali) के रूप में मनाया जाता है।
२. दीपावली के दिन हुआ था माता लक्ष्मी का जन्म
हमारे वेद और पुराणों के अनुसार यह मान्यता है की जब देवता महा ऋषि दुर्वासा के दिए हाय श्राप के करण शक्ति हीन हो गए थे। तब भगवान श्री विष्णु के कहने पर देवताओ ने असुरो के साथ मिलकर समुद्र मंथन किया था। उस मंथन से कई चीज़ो की उत्पत्ति हुई जैसे अमृत, हलाहल विष, कल्प वृक्ष, कामधेनु गाये, ऐरावत हाथी, और माता लक्ष्मी। यह मंथन कार्तिक माह की आवामस्य को हुआ था। तब से हम इस दिन दिए जला कर माता लक्ष्मी स्वागत करते है और माता की पूजा करते है। ताकि हमारे घर भी खुशिया आये और माता लक्ष्मी की कृपा बानी रहे।
३. भगवान श्री हरि विष्णु ने बचाया था माता लक्ष्मी को
समुद्र मंथन के बाद जब असुर राज बलि ने माता लक्ष्मी को कैद कर के तीनो लोको में आतंक मचा दिया था तब भगवान श्री विष्णु ने अपना पांचवा अवतार लिया था। जिसे आज हम लोग वामन अवतार के नाम के से जानते है। उस समय भगवान विष्णु ने वामन रूप में आके राजा बलि से तीन पग भूमि मांगी और उस के बाद भगवान ने राजा बलि को पाताल में स्थापित करके सृष्टि को बचाया था और माता लक्ष्मी को उसकी कैद से बचाया था। इस कारण से भी हम दिवाली (Diwali)मनाते है।
४. इस दिन श्रीकृष्ण जी ने नरकासुर का किया था वध
पुरानी कथाओ के अनुसार जब नरकासुर नामक दानव ने सारी सृष्टि में आतंक मचा रखा था और तीनो लोक उस से भयभीत हो रखे थे तब भगवान श्री विष्णु के आठवे अवतार में श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया और १६००० महिलाओ को उस की कैद से मुक्त कराया उस के बाद उस महिलाओ को सम्मान दिलाने के लिए उस ने विवाह किया और इस पावन अवसर पर भी हमे दीप जलाकर इस को छोटी दीवली के रूप में भी मनाते है
दीपावली या दिवाली क्या महत्त्व है (Significance of Diwali)
- दिवाली (Diwali) के इस पवन अवसर पर हम माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करते है ताकि हमारे घर में माता लक्ष्मी की कृपा बानी रहे और हमारे घर में खुशिया बानी रहे।
- दिवाली का त्यौहार बुराई पे अच्छाई और अंधरे पे प्रकाश का प्रतीक भी है यही कारण है की इस दिन हम दिया जलाकर अँधेरे को दुर्र करते है।
- यह त्यौहार ५ दिन का होता है धनतेरस, छोटी दिवाली, दिवाली, गोवेर्धन पूजा, भैया दूज और ये पाँचो दिन बड़े उत्त्साह और आनंद के साथ मनाये जाते है।
- इस दिन बचे पटाखे भी फोड़ते है इस दिन यह भट शुभ मन जाता है क्युकी पटके की आवाज लोगो का उत्साह दर्शाता है।
- इस दिन दियो से, रंगोली से और तरा तरा की जगमग करने वाली वस्तुओ से घर को सजाया भी जाता है।
- इस दिन लोग नए कपडे पहन कर एक दूसर से गले मिलकर ोेक दूसरे को मिठाई खिलाके महू मीठा करवाते है।
दिवाली 2022 में कब की है ?
इस साल दिवाली (Diwali) 24 अक्टूबर 2022 की है