एक जंगल में एक शेर रहता था गीदड़ उसका सेवक था उन दोनों की जोड़ी अच्छी थी शेरो के समाज में तो उस शेर की कोई इज्जत नहीं थी क्योकी वो जंगल में सभी दूसरे शेरो से युद्ध हार चूका था इसलिया वो दूसरे शेरो से जरा अलग रहता था उसे गीदड़ जैसे चमचे की सख्त जरुरत थी जो 24 घंटे उसकी चमचागिरी करता रहे गीदड़ को तो बस खाने का जुगाड़ चाहिए था पेट भर जाने पर गीदड़ उस शेर की वीरता के ऐसे गुण गान करता की शेर का सीना फूल कर दुगना चौड़ा हो जाता।
एक दिन शेर ने एक बिगंडेल जंगली सांड का शिकार करने का साहस कर डाला, सांड बोहोत शक्तिशाली था उसने लात मार कर शेर को दूर फेक दिया जब वो उठने को हुआ तो सांड ने गुस्से में चिलाते हुए शेर को एक पेड़ से रगड़ दिया किसी तरह शेर जान बचा कर भगा, शेर सींगो की मार से काफी जख्मी हो गया था कई दिन बीते लेकिन वो ठीक होने का नाम ही नही ले रहा था। इसलिया वो शिकार नही कर सकता था और गीदड़ के शिकार करने की बास्की नहीं थी। दोनों के भूखे मरने की नौबत आगई थी फिर शेर को भी डर था की खाने का जुगाड़ ख़तम होने के कारण गीदड़ उसका साथ न छोड़ जाए। शेर ने एक दिन गीदड़ को सुझाव देते हुए कहा देख ज़ख्म के कारन में दौड़ नहीं सकता शिकार कैसे करू तू जाकर किसी बेवकूफ जानवर को बातो में फसा कर यहाँ पर ला में इस झाड़ियो में छिपा रहुंग।
गीदड़ को भी शेर की बात जच गई वो किसी मुर्ख जानवर की तलाश में घूमता-घूमता एक गांव के बाहर नदी के घाट पर जा पंहुचा वहा उसे एक मरियल सा गधा घांस पर मुँह मारता हुआ नजर आया, वह शकल से ही बेवकूफ लग रहा था। गीदड़ गधे के पास जाकर बोला पाय लागु चाचा बोहोत कमजोर होगए हो क्या बात है ? गधे ने अपना दुखड़ा रोया क्या बताऊँ भाई जिस धोबी का में गधा हु वो बोहोत क्रूर है वो दिन भर मुझसे सामान ढुलवाता है और चारा कुछ नहीं देता। गीदड़ ने उसे न्योता दिया चाचा मेरे साथ जंगल चलो वहा बोहोत हरी हरी घांस है खूब चरना तुम्हारी सेहत बनजाएगी। गधे ने कान फड़फड़ाए और कहा राम राम में जंगल में कैसे रहुंग जंगली जानवर मुझे खा जाएंगे। गीदड़ बोला चाचा शायद तुम्हे पता नहीं की जंगल में एक बुगला भगत सिंह का सत्संग हुआ था उसके बाद सारे जानवर शाकाहारी बन गए है अब कोई किसी को नहीं खाता और फिर गीदड़ गधे के कान के पास आकर दाना डालते हुए बोला की पास के गांव से बिचारी गधी भी अपने धोभी मालिक के अत्याचारों से परेशान होकर जंगल में आगई थी और वहा हरी हरी घांस खाकर वह खूब लहरा गई है तुम उसके साथ घर बसा लेना।
गधे के दिमाग में हरी हरी घांस और घर बसने के सुनहरे सपने छाने लगे वो गीदड़ के साथ जंगल की और चल दिया जंगल में गीदड़ गधे को उसी झाड़ी के पास लेगया जहा वो शेर छुप कर बैठा था। इस्से पहले की शेर पंजा मरता गधे को झाड़ी में शेर की तेज नीले रंग की चमकती आँखे नजर आजाती है। गधा भागा और भागते ही गया। शेर उदास होकर बोला की भाई में तइयार नहीं था तुम उसे दुबारा लाओ इस बार गलती नहीं होगी। गीदड़ दुबारा उस गधे की तलाश में गांव पोहचा और उसे देखते ही बोला चाचा तुमने तो मेरी नाक कटवादी तुम अपनी दुल्हन से डर कर भाग आए, उस झाड़ी में मुझे दो चमकती आंखे दिखाई दी थी जैसी शेर की होती है तो में भागता नहीं तो क्या करता। गीदड़ झूट मुठ माथा पीट कर बोला चाचा ओ चाचा तुम भी कितने मुर्ख हो उस झाडी में तुम्हारी दुल्हन थी जाने कितने सालो से तुम्हारा इंतजार कर रही थी तुम्हे देख कर उसकी आंखे चमक गई और तुमने उसे शेर समाज लिया। गधे को बोहोत शर्म आई अब गीदड़ की छल भरी बाते ही कुछ ऐसी थी।
गधा फिरसे उसके साथ चल पड़ा जंगल में शेर के पास पोहोचते ही शेर ने झाड़ी से नुकीले पंजो से उसे मर गिराया इस प्रकार शेर और गीदड़ का भोजन जुटा।
शिक्षा
इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है की दुसरो की चिकनी चुपड़ी बातो में आने की मूर्खता काबनही नही करने चाहिए।