पंचतंत्र की कहानियां : गोलू, मोलू और भालू

गोलू और मोलू पक्के दोस्त थे गोलू दुबला पतला था और मोलू मोटा और गोलमटोल था। दोनों एक दूसरे के लिये जान देने का दम रखते थे लेकिन उन दोनों को साथ देख कर लोगो की हसी छूट जाती। एक दिन उनके दोस्त ने उनको अपने गांव अपने बहन की शादी के अवसर पर बुलाया था उनके दोस्त का गांव ज्यादा दूर तो नहीं था लेकिन बीच में एक जंगल पड़ता था वह जंगल जंगली जानवरो से भरा हुआ था।

दोनों दोस्तों ने साहस करके जंगल के अंदर कदम रख दिया जब वह जंगल से होकर निकल रहे थे तो उन्होंने देखा की आगे से एक भालू आराहा है गोलू दुबला-पतला था इसलिया वह भाग कर पेड़ पर चढ़ गया लेकिन मोलू अपने वजन के कारन पेड़ पर नही चढ़ पाया लेकिन उसने अपना साहस नहीं खोया उसने सुना हुआ था की भालू मृत शिकार नही खाते और यही सोच कर वह साँस रोक कर जमीन पर लेट गया और ऐसे प्रदर्शित किया की उसके शरीर में प्राण ही नहीं है भालू उसके पास घूरता हुआ आया और उसे सुंग कर आगे बढ़ गया और जब वह भालू काफी दूर निकल गया तो गोलू पेड़ से उतरा और बोला मित्र मेने देखा था भालू तुमसे कुछ कह रहा था। वो क्या कह रहा था, मोलू गुस्से में बोला मुझे मित्र कहके मत बुलाओ और ऐसा ही कुछ वो भालू भी कह रह था उसने कहा गोलू पर विश्वाश मत करना वह तुम्हारा दोस्त नहीं है। यह सुनकर गोलू शर्मिंदा हो गया उसे पता चल गया था की उस्से कितनी बड़ी भूल हो गई है उसकी मित्रता भी हमेशा के लिये ख़तम हो गयी थी।

शिक्षा

इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है की सच्चा मित्र वही है जो संकट में काम आए।

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