नादिर शाह को नादिर अफसर, नादेर कोली बेग या तहमास कोली खान के नाम से भी जाना जाता है.नादिर शाह 17 वीं सदी मै सबसे शक्तिशाली ईरानी शासकों में से एक था, उसके बड़े और दमदार सैन्य के बल पर उसने कई लड़ाइयां जीत ली और बड़े छेत्र पर अपनी हुकूमत जमा ली थी. उसने भारत पर भी आक्रमण किया था. उस समय दिल्ली की सत्ता पर आसीन मुग़ल बादशाह मुहम्मद शाह आलम को हराने के बाद उसने खूब दौलत इक्कठा की थी, जिसमे कोहिनूर हिरा भी शामिल था.
प्रारम्भिक जीवन | Nadir Shah Early Life
नादिर शाह का जन्म उत्तर पूर्वी ईरान के खोरासान अफ़्शार क़ज़लबास कबीले में एक साधारण परिवार में हुआ था. उसके पिता एक साधारण किसान थे. उसके पिताजी का देहांत उसके बचपन में ही हो गया था. कहा जाता है, की उज़बेगो द्वारा उसकी माँ के साथ बंदी बना रखा था. परन्तु नादिर वहाँ से भाग निकलने में क़ामयाब रहा और वह एक अफ़ज़ार कबीले में शामिल हो गया, उसके कुछ ही दिनों बाद वह एक तबके का प्रमुख बन गया. फिर जल्द ही वो एक अच्छे सैनिकों में आने लगा, तत्पश्चात ही उसने एक प्रधान की दोनो पुत्रियों से विवाह रचाया
नादिर के बारे में कहा जाता है, की वह अपने शत्रुओ के प्रति निर्दयी था, लेकिन अपने अनुचरों और सैनिकों के प्रति उदार था. वह घोड़सवारी में माहिर था.उसकी आवाज़ सबसे अजीब क़िस्म की थी, और कहते उसकी क़ामयाबी के पीछे उसकी आवाज़ का हाथ है.
नादिर शाह और सफ़विद साम्राज्य | Nadir Shah and Safavid Empire
उस समय फ़ारस की गद्दी पर सांफवियों का शासन का मददगार था. नादिर शाह की सैन्य प्रतिभा तथा उसकी कार्य शैली को देख सफ़विद उससे काफी प्रभावित हो चुके थे. उस समय साफ़वियों को दो साम्राज्यों से धोखा था – पहला उस्मानी साम्राज्य तथा अफगानी साम्राज्य इसके अलावा उत्तर से रूसी साम्राज्य की भी सांफवियो पर गहरी नज़र थी.
शाह सुल्तान हुसैन के बेटे तहमास्य ने नादिर का साथ दिया, उसके साथ मिलकर उसने उत्तरी ईरान में मशहद, जो ख़ोरासान की राजधानी थी, उसे अफ़ग़ानों को भगाकर अपने अधिकार में ले लिया, इस कार्य से प्रभावित होकर उसे तहमास्य कुली खान की उपाधि प्रदान की गयी थी।
अफ़ग़ानों ने राजधानी इस्फ़हा पर कब्ज़ा कर लिया था. 1729 के अंत तक अफ़ग़ानों को तीन बार हराया और, इस्फ़हा वापस अपने नियंत्रण में ले लिया। इसके बाद उसने अपनी सैन्य को और मज़बूत बनाने के लिए शाह तेहमाश्प से भरी कर वसूल करवाया। सैन्य ताकतवर होने के बाद उसने अफ़ग़ानों के साथ अन्य साम्राज्य जिनसे उन्हें धोका था, उन पर नियंत्रण किया, जिसमे उस्मानी साम्राज्य और उत्तर में रूसी साम्राज्य का समावेश था.
नादिर की सैन्य सफलता तेहमाश्प से देखि नहीं गयी, उसने अपनी सैन्य योग्यता को साबित करने के लिए उस्मानियों के साथ फिर से युद्ध शुरू कर दिया, लेकिन वह हार गया और उसे नादिर द्वारा जीते हुए कुछ प्रदेश उस्मानो को लौटाने पड़े.
भारत पर आक्रमण | Nadir Shah Invasion of India
पश्चिमी दिशा में अच्छा ख़ासा प्रदेश अपने अधिकार में लाने के बाद वह पूर्व दिशा में अपना ध्यान केंद्रित करने लगा. उसने पूर्व दिशा में सबसे पहले कन्हार पर अधिकार कर लिया। इस बात का बहाना बना कर कि मुग़लों ने अफ़ग़ान भगोड़े को पनाह दे राखी है, उसने मुग़ल साम्राज्य की और कूच किया। उसने फिर काबुल पर अधिकार जमाया और दिल्ली पर अपना निशाना साधा और आक्रमण कर दिया। करनाल में मुग़ल राजा मोहम्मद शाह और नादिर की सेना के बीच लड़ाई हुई. इस जंग में छोटी सेना होने के बावजूद नादिर की सेना ने जीत हासिल की.
1739 में जब वह दिल्ली पहुंचा तो, उस समय वहां अफवाह फैल गयी की नादिर शाह मारा गया, इससे दिल्ली में भगदड़ मच गयी, और फ़ारसी सेना का क़त्ल शुरू हो गया. उसने इसका बदला लेने के लिए दिल्ली में भयानक क़त्ल ए आम मचाया था, कहते है की एक दिन में उसने 20000-22000 लोगों की हत्या कर दी. इसके अलावा उसने दिल्ली की सत्ता पर आसीन मुग़ल बादशाह मोहम्मद शाह आलम से विपुल धनराशि भी ज़प्त कर ली.
मोहम्मद शाह ने सिंधू नदी के पश्चिम की साड़ी भूमि भी नादिर शाह को दान में दे दी. हिरे जवाहरात का एक जखीरा भी उसे भेंट किया गया जिसमे कोहिनूर हिरा भी शामिल था, कहा जाता है की दिल्ली से लौटने के पर उसके पास इतना धन हो गया था की अगले तीन वर्षों तक उसने जनता से कर नहीं लिया था.
नादिर शाह का मक़बरा मशाद | Nadir Shah’s Mashad Tomb
नादिर शाह ने 11 वर्षों तक शासन किया और अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई उपलब्धियां हासिल की. नादिर शाह का मक़बरा एक ईमारत है, जिसका निर्माण मशहद शहर में नादिर शाह की याद में किया गया था. 1917 में क़ाज़र युग के अंतिम वर्षों में कव्वा अल सल्तना ने अपने मक़बरे के खंडहरों के लिए उनके लिए एक नया मक़बरा बनवाया और तेहरान से उनके मक़बरे तक उनकी अस्थियाँ स्थानांतरित की.
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