क्या राम सेतु आज भी है

क्या राम सेतु आज भी है? राम सेतु का अबतक का सब से बड़ा रहस्य

रामायण में सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा राम सेतु का निर्माण है। राम सेतु करोड़ों भारतीयों की आस्था है। समुद्र पर बने राम सेतु को दुनिया भर में एडम्स ब्रिज के नाम से जाना जाता है। हिंदू शास्त्रों व पौराणिक हिंदु धार्मिक ग्रंथों के अनुसार यह एक पुल है जिसे मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने वानर सेना के साथ लंका पहुंचने के लिए बनवाया था। यह पुल भारत के रामेश्वरम से शुरू होकर श्रीलंका के मन्नार को जोड़ता है।

राम सेतु ही एकमात्र ऐसी चीज है, जिसके आधार पर रामायण के अस्तित्व में होने या न होने पर भी बहस होती रहती है। श्री राम का सेतु एक ऐसी कहानी है जिसे लोग विज्ञान का हवाला देकर नकार देते है। लेकिन कुछ समय पहले एक अमेरिकन साइंस चैनल ने दावा किया था , कि राम सेतु वास्तव में मौजूद है और इसे रामायण काल से संबंधित बताया गया है।

रामसेतु पर न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी रिसर्च हो रही है, और कई लोग इस पर तरह-तरह के दावे भी करते हैं. शोधकर्ताओं का ऐसा कहना है कि रामेश्वरम और श्रीलंका के बीच कई ऐसे पत्थर हैं जो करीब 5000 – 7000 साल पुराने हैं। कुछ लोग इसे धार्मिक महत्व देने वाले भगवान का चमत्कार मानते हैं, और यही अमेरिका से मिले इस सबूत के बाद यह राजनीतिक मुद्दा भी बन गया।

कई विदेशियों के शोधकर्ताओं  द्वारा की गई जांच से ये पता चला है , कि राम सेतु या एडम्स ब्रिज इंसानों द्वारा बनाया गया था। जब भगवान राम रावण को मारने लंका पहुंचे तो उनके लिए सबसे बड़ी समस्या रावण के लंका पहुंचने की थी। जिसके लिए भगवान श्री राम को इस समुद्र को पार करना था। इसके लिए भगवान राम ने सेतु के निर्माण की योजना बनाई। जब भगवान श्री राम ने राम सेतु के निर्माण के लिए समुद्र के देव से मदद मांगी तो समुद्र देव ने बताया कि आपकी सेना में नल और नील दो भाई  हैं जिन्हें इस पुल के निर्माण की जानकारी है , वे दोनों भाई पुल बनाने में आपकी मदद करेंगे। 

जब भगवान राम लंका जा रहे थे, रावण से युद्ध करने के लिए तब भगवान राम ने समुद्र पार करने के लिए इस पुल को बनाया था | और इस पुल के निर्माण में केवल 5 से 6 दिन का समय लगा। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने भी इस तथ्य को स्वीकारा है। यहाँ पर आपको एक बात बता दें कि समुद्र की लंबाई करीब 100 योजन के बराबर है। एक योजन में लगभग – लगभग 13 से 14 किलोमीटर होते हैं यानि राम सेतु की लंबाई लगभग 1300 – 1400 किलोमीटर होती है।

क्या आज भी राम सेतु पर तैरते हैं पत्थर?

रामसेतु

( आप सभी लोग ये जानते है, की आमतौर पर सभी पत्थर पानी में डूबते है, लेकिन कुछ ऐसे पत्थर आज भी मौजूद हैं, जो पानी में नहीं डूबते बल्कि पानी की सतह पर तैरते रहते हैं। सागर विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग में ऐसे पत्थर मौजूद हैं, जो पानी की सतह पर तैरते हैं। )

रामायण में राम सेतु निर्माण के दौरान उन पत्थरो को तैरते देखा गया जिनपर भगवन राम का नाम लिखा गया था अधिकतर लोग इसे भगवन राम का चमत्कार मानते है। क्यूंकि पत्थर पानी में नहीं तैर सकते, वो डुब जाते है लेकिन कुछ ऐसे पत्थर आज भी मौजूद है जो पानी की सतह पर तैर सकते है वे डूबते नहीं है | सागर विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग में ऐसे पत्थर मौजूद हैं, जो पानी की सतह पर तैरते हैं वैज्ञानिको के मुताबिक कुछ पत्थर अपनी अलग गुणवत्ता और संरचना के कारन पानी में तैर सकते है। इन पत्थरो में सैंड स्टोन और प्यूमिक स्टोन के नाम शामिल है |  

रामेश्वरम में राम सेतु के तैरते पत्थरों का रहस्य क्या है? क्या पत्थर पानी में तैर सकता है?

रामसेतु

नल और नील की उपस्थिति में वानर सेना ने 5 दिनों में 1400 किमी लंबा और 3 किमी चौड़ा पूल तैयार किया। शोधकर्ताओं के मुताबिक इसके लिए एक खास तरह के पत्‍थर / स्टोन का इस्तेमाल किया गया था, जिसे विज्ञान की भाषा में ‘प्यूमिस स्टोन’ कहा जाता है। यह पत्थर पानी में नहीं डूबता। यह पत्थर रामेश्वरम में सुनामी के दौरान समुद्र के किनारे देखा गया था।

यह तैरता हुआ पत्थर खुद आकार लेते हुए ज्वालामुखी के लावा से बना है। ज्वालामुखी से निकलने वाला लावा जब वायुमंडल से मिलता है तो ठंडी या कम तापमान वाली हवा उसके साथ मिल जाती है। गर्म और ठंडे का यह मिश्रण इस पत्थर को कई तरह से छेदता है, जो अंततः इसे एक स्पंजी आकार देता है, जिसे हम आम बोलचाल में खिंखरा कहते हैं।

प्यूमाइस पत्थर अपने छिद्रों में हवा रखता है, जो इसे पानी से हल्का बनाता है, इसलिए यह जल्दी डूबता नहीं है। लेकिन जैसे ही इन गड्ढों में पानी भर जाता है तो यह पत्थर भी पानी में डूबने लगता है। यही कारण है कि रामसेतु पुल कुछ समय बाद जलमग्न हो गया और बाद में उस पर अन्य प्रकार के पत्थर जमा हो गए। क्या राम सेतु बनाने में हुआ था इन पत्थरो का उपयोग आइये जानते है। 

क्या राम सेतु बनाने में हुआ था इन पत्थरो का उपयोग। 

रामसेतु

राम सेतु में तैरते पत्थरों के इस्तेमाल की संभावना कई बार सामने आई है, इस संबंध में प्रोफेसर आरके त्रिवेदी का कहना है कि राम सेतु में पत्थरो का जो वर्णन हमें मिलता है | वह इन पत्थरों के गुणों के समान है, इसलिए ये कहा जा सकता है, कि राम सेतु के निर्माण के दौरान ऐसे पत्थरों को चुना गया होगा , जो पानी पर तैर सकते हो।

राम सेतु घूमने जाने का सबसे सही समय

राम सेतु जो रामेश्वरम में है , अगर आप वह घूमने जाने का प्लान कर रहे है तो हम बताना छेंगे की आप वह जाने के लिए कोई भी मौसम में जा सकते है | वह मौसम हमेशा एक जैसा रहता है , हमारे अनुशार अगर आप नवंबर से मार्च के बिच का महीना चुने तो आपके लिए ज्यादा बढ़िया रहेगा | उस वक़्त न ज्यादा गर्मी न ज्यादा सर्दी होती है |

राम सेतु के पास घूमने जाने वाली जगह

पांच मुखी हनुमान मंदिर

बतया जाता है की यह पांच मुखी हनुमान मंदिर रामेश्वरम से २ किलोमीटर की दुरी पर है | जो भगवान हनुमान के पांच मुख्य को दिखता है , और साथ ही यहाँ भगवान हनुमान की बहुत मूर्ति भी है | हनुमान जी के मूर्ति को सिंदूर से सजाया गया है | जो की और भी सुन्दर दिखता है |

कोथंदरामास्वामी मंदिर

यह मंदिर भगवन राम को समर्पिय है | यह मंदिर चारो और से हिन्द महासागर से घिरा हुआ है | यह वह स्थान है जहा भगवन राम से रावण के भाई भिभीषन ने राम से मिले थे | इसलिए इस मंदिर में भिभीषन की पूजा की जाता है | निर्माण ५००-६०० साल पहले हुआ था |

कलाम राष्ट्रीय स्मारक

रामेश्वरम में स्तिथ राम सेतु और कलाम राष्ट्रीय स्मारक दोनों ही बहुत आकर्षक पर्यटक स्थल है | जो राम सेतु देखने जाता है वह कलाम राष्ट्रिय स्मारक ज़्रूरूर देखने जाता है | यह की कोई प्रवेश शुल्क नहीं है | यह स्मारक दुनिया भर के पर्यटकों के दिल जीतने में सक्षम है | यहाँ कलम जी का एक संगृह है , जिसमे कलम जी के ऐतिहासिक एवं व्यक्तिगत समान सम्लित है | इस स्मारक को बनाने का काम २०१५ में सुरु किया गया था |

लक्ष्मण तीर्थ

लक्ष्मण तीर्थ रमानाथस्वामी मंदिर के पास स्तिथ है | कहा जाता है की लक्षमण मंदिर के पास एक तालाब है , उस तालाब के पास एक शिवलिंग है जोकि लक्ष्मण जी ने खुद बनाया था | ताकि शिव लिंग की पूजा कर वह अपने सरे पाप माफ़ कर सके | यह जाने वाला हर पर्यटक उस तालाब में जरुरु स्न्नान करता है | इसका कोई प्रवेश शुल्क नहीं है | पूजा कर्ण एक लिए यह सिर्फ ६० रूपए लिए जाते है |

राम सेतु के नजदीक कहाँ रुके

राम सेतु से कुछ किलोमीटर की दुरी पर है आपके लिए कपम्फोर्ताब्ले रुकने स्थान जो की आपके आवश्यकता अनुशार बनाये गए है | यह होटल्स लौ बुगट से लेकर हाई बुगट तक क है | आप अपने पॉकेट अनुशार इसका चुनाव कर सकते है | जीवन रेजीडेंसी

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