आखिर जामवंत किसके पुत्र थे

आखिर जामवंत (jamwant) किसके पुत्र थे और किसके अवतार थे ?

रामायण आप सभी ने सुनी है और रामजी, लक्षमण जी और हनुमान जी के बारे में सभी जानते है। लेकिन अक्सर यह प्रशन  पूछा जाता है कि आखिर जामवंत (jamwant) किसके पुत्र थे और किसके अवतार थे ? तो जामवंत (jamwant) जी ब्रह्मा जी और माता सरस्वती के पुत्र थे। जो बड़े ही बलवान और बुद्धिमान थे और बह्रमा जी के पुत्र होने के कारण उन्हें अमर होने का वरदान भी था। जामवंत जी का जन्म राजा बलि के काल में हुआ था।  पुराणों के अनुसार कहाँ  जाता है जामवंत जी सतयुग और त्रेतायुग में भी थे।  पुराणों में तो  यह भी कहाँ  गया है की जामवंत जी ने द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण से भी यूद्ध किया था।  अब आइये जानते है की जामवंत जी कौन  थे, किस के पुत्र थे और किस-किस युग में उनका किया योदान रहा।  

जामवन्त (jamwant) कौन हैं

जामवंतजी को अग्नि पुत्र कहा जाता है । जामवंत की माता एक गंधर्व कन्या थी। सृष्टि के आदि में प्रथम कल्प के सतयुग में जामवंतजी उत्पन्न हुए। राजा बलि के युग में होने के कारण उन्हें भगवान विष्णु के वामन अवतार के दर्शन भी प्राप्त हुए। जामवंत जी भगवान परशुराम, हनुमान जी के भांति बलशाली बुद्धिमान, और अमर थे यही कारण है की उन्होंने भगवान विष्णु के कई अवतारों को जन्म लेते हुई देखा और उनकी सायता भी की जैसे श्री राम की थी। और द्वापर में श्री कृष्ण के साथ युद्ध किया। 

जामवंत जी विद्धान और ज्ञानी थे  

रामायण काल में जब जामवंत जी सुग्रीव के साथ श्री राम से मिले और उनके  साथ माता सीता को खोजने में मदद करी। जब राम की वानर सेना माता सीता को खोजते हुई समुद्र तट पर पहुँची तब सब सोच रहे थे की कोण पार करके लंका जायेगा तब दो ही महा बलि थे जो उस समुद्र को लांग सकते थे पहले थे हनुमान जी और दूसरे थे जामवंत की परन्तु वृद्ध होने के कारण जामवंत जी समुद्र को नहीं लांग सकते रथे और हनुमान जी ऋषि के श्राप के कारण अपनी सारी शक्तिया भूल चुके थे तब जामवंत जी ने हनुमान जी को उनकी सारी शक्तियों की याद दिलाई और तब हुनमान जी ने समुद्र पार कर के सीता जी की खोज की। और जामवंत जी ही हनुमान जी को बताया था की संजीवनी खा मिलेगी और किसी दिखाई देती है इस के साथ साथ ३ और सबसे दुर्लभ जड़ीबूटियों के बारे में भी बताया। जामवंत जी को सभी वेद और उपनिषद का ज्ञान भी है और उनकी रुचि पढ़ने भी थी। 

त्रेता युग में जाम्बवंत का योगदान क्या था 

जिसे आप सब जानते है जब श्री राम जब जामवंत जी से मिले तब जामवंत जी ने निस्वार्थ भाव से राम जी की सेवा करि और पथ पथ पे साथ दिया जैसे हनुमान जी को उन् की शक्तिया याद दिलाना और रावण की सेना को कैसे हराना है कोण कोण कितना बालसाहली है जामवंत जी को सब का ज्ञान था और वह अपनी तेज़ बुद्धि से हर समस्या का हल निकलने में समर्थ थे। जब लक्ष्मण जी को मेघनाथ ने जब घायल कर दिया था तब जामवंत जी ने ही हनुमान जी को संजीवनी का पता बताया था। 

द्वापर युग में जाम्बवंत का योगदान क्या था

पुराणिक कथाओ के अनुसार एक बार जब स्यमंतक मणि जब चोरी हुआ तब आरोप श्री कृष्ण पे लगा जो उन् से सहन ना हुआ। फिर श्री कृष्ण उस मणि की खोज में निकले तब उन्हें वो मणि जवान जी के पास मिला तब उन के बीच घमासान युद्ध हुआ जिस में श्री कृष्ण ने जामवंत जी को हरा दिया।  युद्ध समाप्त होने के बाद जामवंत कजी यह सोचने लगे की ब्रम्हा जी के वरदसान के कारण कोई हरा नहीं सकता था और एक साधरण मनुष्य ने उन्हें कैसे हरा दिया। तभी जामवंत जी ने श्री कृष्ण से पुछा  की आप कोन है और आप का असली रूप किया है तब श्री कृष्ण ने जामवत जी को अपना दिव्य रूप दिखया और बताया की वह विष्णु जी के आठवे अवतार है तब जामवंत जी ने उन् से वरदान माँगा की आप मेरी पुत्री के विवाह कर लीजिये तब श्री कृष्ण ने उन् की पुत्री जामवंती से विवाह किया।

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