Ramdhari Singh Dinkar

रामधारी सिंह दिनकर की जीवनी हिंदी में / Ramdhari Singh Dinkar Biography in Hindi

रामधारी सिंह दिनकर का साहित्यिक परिचय, लेखक, भाषा शैली, रचनाएँ और हिंदी साहित्य में योगदान | Literary introduction of Ramdhari Singh Dinkar, author, language style, compositions and contribution to Hindi literature

Table of Contents

कौन थे रामधारी सिंह दिनकर / Who was Ramdhari Singh Dinkar

रामधारी सिंह (Ramdhari Singh Dinkar) दिनकर हिंदी के प्रमुख कवी,लेखक, निबंधकार व स्वतंत्रता सेनानी थे। रामधारी सिंह दिनकर को हिंदी के सबसे प्रमुख कवियो के रूप में याद किया जाता है। उन्हें आधुनिक युग के “वीर रस” के महान कवी के रूप में जाना जाता है। रामधारी सिंह दिनकर आज़ादी से पहले विद्रोही कवी के रूप में जाने जाते थे और आज़ादी के बाद उनके द्वारा लिखी गयी कविताओं ने उन्हें राष्ट्रीय कवी के रूप में पहचान दिलाई। रामधारी दिनकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान क्रांतिकारी आंदोलनों का समर्थन करते थे उनकी कविताओं में  विद्रोह, आक्रोश और क्रान्ति की पुकार होता था तथा दूसरी ओर वे कोमल श्रृंगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है दिनकर की कविताओ में वीर रस का भाव है और वे अपनी कविताओं से किसी भी राष्ट्रवादी को आक्रोश में भरने में सक्षम थे। दिनकर छायावादी कविओ के पहली पीढ़ी के कवी है कुरुक्षेत्र और उर्वशी नामक उनकी रचनाओं में हम इन दो प्रवृत्तियों की परिणति पाते हैं।

रामधारी सिंह दिनकर का परिचय व परिवार (Ramdhari Singh Dinkar Biography in Hindi)

पूरा नामरामधारी सिंह दिनकर (Ramdhari Singh Dinkar)
जन्म23 सितंबर 1908
जन्म स्थानसिमरिया, मुंगेर, बिहार
शिक्षाबी.ए.
मृत्यु24 अप्रैल 1974 -( 65 वर्ष की आयु में)
मृत्यु स्थानबेगूसराय, बिहार, भारत
नागरिकताभारतीय
पेशाकवि, लेखक, निबंधकार,साहित्यिक आलोचक,पत्रकार,व्यंग्यकार,स्वतंत्रता सेनानी
भाषाहिन्दी, शुद्ध साहित्यिक खड़ीबोली 
शैलीविवेचनात्मक, समीक्षात्मक, भावात्मक
प्रसिद्धिराष्ट्रकवि (भारतीय कवि)
उल्लेखनीयपुरस्कार1959: साहित्य अकादमी पुरस्कार1959: पद्म भूषण1972: भारतीय ज्ञानपीठ
अवधि / कालआधुनिक काल
स्कूलमोकामाघाट हाई स्कूल
कॉलेजपटना विश्वविद्यालय
पिता का नामबाबू रवि सिंह
माता का नाममनरूप देवी
भाईकेदारनाथ सिंहऔर रामसेवक सिंह
बहनN / A 
पत्नी का नामज्ञात नहीं

रामधारी सिंह दिनकर का जन्म 23 सितंबर 1908 को बिहार राज्य के मुंगेर,वर्त्तमान में (बेगूसराय)जिले के सिमरिया गांव में हुआ था। उनके पिता बाबूराव सिंह तथा माता मनरूप देवी था रामधारी सिंह दिनकर के 2 भाई भी थे केदारनाथ सिंह और रामसेवक सिंह। दिनकर जब 2 वर्ष के थे तब उनके पिता जी बाबूराव सिंह का देहांत हो गया था दिनकर और उनके भइओ का पालन-पोषण उनकी माता ने किया। दिनकर का बचपन उनके गांव में बिता। 

रामधारी सिंह “दिनकर” की शिक्षा / Education of Ramdhari Singh “Dinkar”

दिनकर के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण उन्हें पढ़ाई में समस्याएँ आती रहती थी। दिनकर ने प्रारंभिक शिक्षा प्रारंभ अपने गाँव के ‘प्राथमिक विद्यालय’ से प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की और हाई स्कूल की शिक्षा इन्होंने ‘मोकामाघाट हाई स्कूल’ से प्राप्त की। 1928 में दिनकर ने अपनी मैट्रिक पूरी करि तथा 1932 में दिनकर ने पटना विश्वविद्यालय में  इतिहास से बी. ए. ऑनर्स किया। दिनकर अपने स्कूल के दिनों में इतिहास, राजनीति व फिलॉसफी पढ़ना पसंद करते थे लेकिन कॉलेज में जाने के बाद उनकी रूचि संस्कृत, मैथिली, बंगाली, अंग्रेजी साहित्य जैसी अन्य भाषाओं को पढ़ने लगी। जब दिनकर हाई स्कूल में पढ़ रहे थे तब इसी बिच उनकी शादी भी हो गई थी तथा वो एक पुत्र के पिता भी बन चुके थे। एक छात्र के रूप दिनकर को कई वित्तीय  समस्याओं का सामना करना पड़ता था। 

रामधारी सिंह “दिनकर” की सेवाएं तथा उपलब्धियां / Services and achievements of Ramdhari Singh “Dinkar”

रामधारी सिंह “दिनकर” को बी. ए. ऑनर्स करने के कुछ समय के लिए उन्हें एक स्कूल में ‘प्रधानाध्यापक’ नियुक्त किया गया। उसके कुछ समय के बाद दिनकर 1934 से 1947 तक बिहार सरकार की सेवा में सब-रजिस्टार के रूप में कार्य किया और स्वतंत्रता मिलने के बाद प्रचार विभाग के उपनिदेशक के तोर पर कार्य करते रहे और कुछ समय तक बिहार विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष पद पर भी कार्य किया। सन् 1952 में जब भारत की प्रथम संसद का निर्माण हुआ तब उन्हें राज्यसभा का सदस्य चुना गया और वह दिल्ली चले गए। रामधारी सिंह “दिनकर” 12 वर्ष तक संसद के सदस्य बने रहे उसके बाद उनको वर्ष 1964 से 1965 में भागलपुर विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त किया गया। इसके बाद दिनकर को 1965 से 1971 में भारत सरकार के गृह विभाग में हिंदी सलाहकार के रूप में हिंदी के संवर्धन एवं प्रचार प्रसार के लिए कार्यरत रहे। रामधारी सिंह “दिनकर को ज्ञानपीठ पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया तथा सन् 1959 में भारत सरकार ने इन्हें ‘पदम भूषण’ से सम्मानित किया गया और सन् 1962 में भागलपुर विश्वविद्यालय ने डी. लिट्. की उपाधि प्रदान करि गई। 

रामधारी सिंह “दिनकर” का निधन / Ramdhari Singh “Dinkar” passed away

24 अप्रॅल 1974 को दिनकर जी का निधन बेगूसराय, बिहार में हुआ 

दिनकर महात्मा गाँधी , इकबाल, रवींद्रनाथ टैगोर, कीट्स और मिल्टन से बहुत प्रभावित हुए थे और उन्होंने रवींद्रनाथ टैगोर की कृतियों का बंगाली से हिंदी में अनुवाद भी किया था। 

क्रांतिकारियों से प्रभावित थे रामधारी सिंह “दिनकर” / Ramdhari Singh “Dinkar” was influenced by revolutionaries

रामधारी सिंह दिनकर ने सन् 1929 पटना कॉलेज में प्रवेश लिया। जब सन् 1928 में साइमन कमीशन के विरुद्ध प्रदर्शन चल रहे थे उस वक़्त ब्रिटश पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज कर दिया था जिसमे लाला लाजपत राय बुरी तरह जख्मी होने के कारन कुछ दिनों के बाद उनकी मृत्यु हो गई। लाला लाजपत की मृत्यु का बदला लेने चंद्रशेखर आजाद के साथ मिलकर के भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरु ने योजना बनाई। जिसमे भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरु ने जॉन सांडर्स की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस तरह की घटनाओ ने दिनकर को बहुत प्रभावित किया और दिनकर के विचारो को राष्ट्र के स्वतंत्रता के प्रति जागृत किया। दिनकर महात्मा गाँधी से प्रभावित होकर उन्होंने सत्याग्रह पर 10 कविताएं लिखी और उसे एक पुस्तक का रूप दिया जिसका नाम उन्होंने विजय संदेश रखा था ब्रिटिश सरकार की नजरों से बचने के लिए दिनकर अपनी कविताओं में कवी का बदल देते थे। 

हिंदी साहित्य के प्रति रामधारी सिंह दिनकर का योगदान / Contribution of Ramdhari Singh Dinkar towards Hindi literature

रामधारी सिंह दिनकर की गिनती आधुनिक युग के सर्वश्रेष्ठ कवियों में की जाती है ‘दिनकर’ ने ना सिर्फ वीर रस काव्य को ऊंचाई दी बल्कि हिंदी साहित्य को भी नयी ऊंचाई पर ले गए। दिनकर ने अपने हिंदी काव्य रचनाओं के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना का भी सृजन किया। रामधारी सिंह दिनकर का क्रांति और प्रेम के संयोजक के रूप में उनका योगदान स्मरण रखने योग्य है वर्ष 1928 में दिनकर का पहला काव्यसंग्रह ‘विजय संदेश’ प्रकाशित हुआ। इसके बाद भी दिनकर ने कई रचनाएं करि जिनमे से उनकी कुछ प्रमुख रचनाएँ ‘हुंकार’ और ‘उर्वशी’ है वर्ष 1959 में दिनकर को पद्म भूषण और साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया और वर्ष 1972 में उन्हें ज्ञानपीठ सम्मान भी दिया गया। रामधारी सिंह दिनकर ने अपनी ज्यादातर रचनाएं ‘वीर रस’ में कीं थी। दिनकर  वह जनकवि थे इसीलिए उन्हें राष्ट्रकवि भी कहा गया आज़ादी की लड़ाई में भी दिनकर ने अपनी कविताओं के माध्यम से अपना योगदान दिया उन्होंने लोगो के मन में देश के प्रति राष्ट्रीय चेतना एवं विद्रोह, आक्रोश और क्रान्ति उत्पन्न करा।  विशेष रूप से रामधारी सिंह दिनकर राष्ट्रीय चेतना एवं जागृति उत्पन्न कराने वाले कवियों में उनका विशिष्ट स्थान है।वर्ष 1999 में दिनकर के नाम से भारत सरकार ने डाक टिकट जारी किया। 

रामधारी सिंह दिनकर उपयुक्त भाषा शैली / Ramdhari Singh Dinkar Appropriate Language Style

रामधारी सिंह दिनकर की हिन्दी भाषा  शुद्ध साहित्यिक खड़ीबोली साहित्यिक खड़ी बोली है. जिसमे संस्कृत के तत्सम शब्दों का प्रयोग किया है। कही कही उर्दू और अंग्रेजी शब्दों का भी उपयोग देखने को मिलता है जिसे उनकी भाषा और भी प्रभावी हो जाती  है. दिनकर की भाषा शैली भावों के अनुकूल परिवर्तनशील है। दिनकर जी ने मुहावरों और लोकोक्तियों का भी प्रयोग किया है. दिनकर जी की रचनाओं में विशेषकर वीर ,रौद्र ,करुण और शांत रसों का सफलतापूर्वक प्रयोग हुआ है।भाषा में कहीं कहीं व्याकरण सम्बन्धी अशुद्धियाँ भी दिखलाई पड़ती है। रामधारी सिंह दिनकर के काव्यों में तुकांत और अतुकांत दोनों प्रकार के छंद देखने मिलते हैं दिनकर की कुरुक्षेत्र में मात्रिक छंद, वार्णिक छंद ,अलंकारों में उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, अनुप्रास आदि का विशेष प्रयोग देखने को मिलता है। 

रामधारी सिंह दिनकर की प्रसिद्ध रचना / Famous composition of Ramdhari Singh Dinkar

दिनकर ने आर्थिक समानता , सामाजिक व शोषण के खिलाफ की रचनाएँ करी उनकी प्रमुख व मुख्य रचनाओं में रश्मिरथी , परशुराम की प्रतीक्षा , उर्वशी आदि शामिल है दिनकर की अधिकतर रचनाये वीर रस से है

दिनकर की सबसे प्रसिद्ध रचना “संस्कृति के चार अध्याय” है इस रचना में दिनकर ने कहा है की  विभिन्न परंपरा भाषा , क्षेत्र विशेष में अंतर होने के बाबजूद भारत एक है और भारत के लोगो का विचार एक ही है और सभी को 

समान विचार रखना चाहिए। 

दिनकर ने ये संस्कृति के चार अध्याय रचना भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लिखी थी जिसके लिए उन्हें वर्ष 1959 साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया था 

दिनकर की संस्कृत के चार अध्याय में कुल 4 अध्याय हैं पहले अध्याय में भारतीय संस्कृति का उल्लेख करते हैं। दूसरे अध्याय में बुद्ध व जैन धर्मों के उत्थान दर्शाया गया है। तीसरे अध्याय में, इस्लाम धर्म का हिन्दू परम्पराओं में प्रभाव को दर्शाया गया है। चौथे अध्याय में, शिक्षा व ईसाई लोगों का हिन्दुत्व के साथ किये गये क्लेश व असुविधा को दिखाया गया है। 

रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कविताएं / Poems of Ramdhari Singh ‘Dinkar’

  • प्राणभंग (1929)
  • रेणुका (1935)
  • हुंकार (1938)
  • रसवन्ती (1939)
  • द्वन्द्वगीत (1940)
  • कुरुक्षेत्र (1946)
  • धूप छांह (1947)
  • सामधेनी (1947)
  • बापू (1947)
  • इतिहास के आँसू (1951)
  • धूप और धुआँ (1951)
  • मिर्च का मज़ा (1951)
  • रश्मिरथी (1952)
  • दिल्ली (1954)
  • नीम के पत्ते (1954)
  • नील कुसुम (1955)
  • सूरज का ब्याह (1955)
  • चक्रवाल (1956)
  • कवि-श्री (1957)
  • सीपी और शंख (1957)
  • नये सुभाषित (1957)
  • लोकप्रिय कवि दिनकर (1960)
  • उर्वशी (1961)
  • परशुराम की प्रतीक्षा (1963)
  • आत्मा की आँखें (1964)
  • कोयला और कवित्व (1964)
  • मृत्ति-तिलक (1964) और
  • दिनकर की सूक्तियाँ (1964)
  • हारे को हरिनाम (1970)
  • संचियता (1973)
  • दिनकर के गीत (1973)
  • रश्मिलोक (1974)
  • उर्वशी तथा अन्य शृंगारिक कविताएँ (1974)

रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की गद्य रचनाएँ / Prose composition of Ramdhari Singh ‘Dinkar’

  • अर्धनारीश्वर
  • आधुनिक बोध
  • उजली आग
  • काव्य की भूमिका
  • चित्तौड़ का साका
  • चेतना की शिला
  • दिनकर की डायरी
  • देश-विदेश
  • धर्म, नैतिकता और विज्ञान
  • पन्त-प्रसाद और मैथिलीशरण
  • भारत की सांस्कृतिक कहानी
  • भारतीय एकता
  • मिट्टी की ओर
  • मेरी यात्राएँ
  • राष्ट्रभाषा आंदोलन और गांधीजी
  • राष्ट्र-भाषा और राष्ट्रीय एकता
  • रेती के फूल
  • लोकदेव नेहरू
  • वट-पीपल
  • विवाह की मुसीबतें
  • वेणुवन
  • शुद्ध कविता की खोज
  • संस्कृति के चार अध्याय
  • संस्मरण और श्रद्धांजलियाँ
  • साहित्य-मुखी
  • हमारी सांस्कृतिक एकता 
  • हे राम!

बाल कविताएं 

  • चांद का कुर्ता 
  • नमन करूँ मैं 
  • सूरज का ब्याह 
  • चूहे की दिल्ली-यात्रा 
  • मिर्च का मज़ा 

सम्मान व पुरस्कार / honors and awards

  • पद्म भूषण (1959), 
  • साहित्य अकादमी पुरस्कार (1959), 
  • भारतीय ज्ञानपीठ (1972)
  • साहित्य चूड़ामण (1968)

रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की प्रसिद्ध कविताएं / Famous Poems of Ramdhari Singh ‘Dinkar’

  • प्राणभंग (1929)
  • रेणुका (1935)
  • हुंकार (1938)
  • रसवन्ती (1939)
  • द्वन्द्वगीत (1940)
  • इतिहास के आँसू (1951)
  • धूप और धुआँ (1951)
  • मिर्च का मज़ा (1951)
  • रश्मिरथी (1952)
  • दिल्ली (1954)
  • नीम के पत्ते (1954)
  • नील कुसुम (1955)
  • सूरज का ब्याह (1955)
  • चक्रवाल (1956)
  • कवि-श्री (1957)
  • सीपी और शंख (1957)
  • नये सुभाषित (1957)
  • लोकप्रिय कवि दिनकर (1960)

कविता का संग्रह / collection of poetry

  • लोकप्रिया कवि दिनकर (1960)
  • दिनार की सूक्तियां (1964)
  • दिनकर के गीत (1973)
  • संचयिता(1973)
  • रश्मिलोक (1974)
  • उर्वशी तथा अन्य श्रंगारिक कवितायें (1974)
  • अमृत ​​मंथन, लोकभारती प्रकाशन -नई दिल्ली, 2008
  • भाजन विना, लोकभारती प्रकाशन- नई दिल्ली, 2008
  • सपनों का धुन, लोकभारती प्रकाशन- नई दिल्ली, 2008
  • समानांतर  लोकभारती प्रकाशन- नई दिल्ली, 2008
  • रश्मिमाला, लोकभारती प्रकाशन- नई दिल्ली, 2008

आत्मकथाएं / Biographies

  • श्री अरबिंदो: मेरी दृष्टि में, लोकभारती प्रकाशन- नई दिल्ली, 2008
  • पंडित नेहरू और अन्य महापुरुष, लोकभारती प्रकाशन- नई दिल्ली, 2008
  • स्मरणंजलि, लोकभारती प्रकाशन-  नई दिल्ली, 2008
  • दिनकरनामा, डॉ दिवाक- 2008

दिनकर की मरणोपरांत मान्यता / Posthumous recognition of Dinkar

  • भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने वर्ष 30 सितंबर, 1987 को उनकी 79 वीं जयंती के अवसर पर श्रद्धांजलि अर्पित की थी।
  • सूचनाकार और प्रसारण मंत्रालय की कैबिनेट मंत्री श्री प्रिया रंजन दासमुंशी ने अपनी जन्म शताब्दी के उपलक्ष में महान देशभक्त कवि रामधारी सिंह दिनकर, पर एक पुस्तक जारी की।
  • 23 सितंबर 2008 को पटना में रामधारी सिंह-दिनकर की 100वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिनकर चौक पर उनकी प्रतिमा का अनावरण किया और श्रद्धांजलि दी.
  • दिनकर के सम्मान में उनका चित्र भारत के प्रधान मंत्री डॉ मनमोहन सिंह द्वारा 2008 में भारत की संसद के सेंट्रल हॉल में स्थापित किया गया था।
  • प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 मई 2015 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में दिनकर की उल्लेखनीय कार्य संस्कृति के चार अध्याय और परशुराम प्रतीक्षा के स्वर्ण जयंती समारोह का उद्घाटन किया।

रामधारी सिंह दिनकर के बारे में तथ्य / Facts about Ramdhari Singh Dinkar

  • प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. काशी प्रसाद जायसवाल दिनकर जी को अपना पुत्र मानते थे। दिनकर के काव्य कैरियर के शुरुआती दिनों में जायसवाल ने उनकी हर तरह से मदद की।
  • दिनकर ने 1928 में साइमन कमीशन के खिलाफ गांधी मैदान की रैली में भी भाग लिया था।
  • कुरुक्षेत्र में, दिनकर ने स्वीकार किया कि युद्ध विनाशकारी होता है , लेकिन तर्क दिया कि यह स्वतंत्रता के लिए आवश्यक था।
  • दिनकर ने पहली बार वर्ष 1920 में महात्मा गांधी को देखा था। लगभग उसी समय, उन्होंने सिमरिया में मनोरंजन पुस्तकालय की स्थापना की।
  • दिनकर को आधुनिक हिंदी कवियों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। वह भारतीय स्वतंत्रता से पहले के दिनों में लिखी गई अपनी राष्ट्रवादी कविता के परिणामस्वरूप विद्रोह के कवि के रूप में उभरे।
  • दिनकर ने अपना अधिकांश बचपन अत्यधिक गरीबी में बिताया जो उनकी कविता में परिलक्षित होता था।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न / frequently Asked question Ramdhari Singh Dinkar

1. रामधारी सिंह दिनकर का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

रामधारी सिंह दिनकर का जन्म 23 सितंबर 1908 को बिहार राज्य के मुंगेर,वर्त्तमान में (बेगूसराय)जिले के सिमरिया गांव में हुआ था।

2. “ज्ञानपीठ पुरस्कार” रामधारी सिंह दिनकर को कब मिला था?

रामधारी सिंह दिनकर को वर्ष 1972 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

3. रामधारी सिंह दिनकर के माता-पिता व उनके भाई का क्या नाम था?

रामधारी सिंह दिनकर पिता का नाम बाबू रवि सिंह, माता का नाम मनरूप देवी और दिनकर के भाइयों का नाम केदारनाथ सिंह और रामसेवक सिंह

4. रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की मृत्यु कब हुई थी?

रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का निधन 24 अप्रैल 1974 को बेगूसराय, बिहार (भारत) में हुआ था। मृत्यु के समय उनकी आयु 65 वर्ष थी।

5. रामधारी सिंह ‘दिनकर’ कौन थे?

रामधारी सिंह ‘दिनकर एक प्रसिद्ध कवि, निबंधकार और देशभक्त थे। उनके द्वारा रचित कविताएँ वीर रस से परिपूर्ण हैं। उन्होंने अपनी रचनाओं में देशभक्ति का परिचय देकर लोगों को राष्ट्र को स्वतंत्र बनाने के लिए प्रेरित किया। “दिनकर” उनका उपनाम था और उनका असली नाम रामधारी सिंह था। वे हिन्दी भाषा के महान कवियों में से एक थे।

6. रामधारी सिंह दिनकर की भाषा शैली क्या है?

दिनकर जी की भाषा हिन्दी, शुद्ध साहित्यिक खड़ीबोली  है। उन्होंने तद्भव और देशी शब्दों और मुहावरों और कहावतों का भी स्वाभाविक प्रयोग किया है। उनकी शैलियों में समालोचनात्मक, समालोचनात्मक, भावात्मक ज्ञानात्मक शैली प्रमुख है।

7. रामधारी सिंह दिनकर किस युग के कवि हैं?

रामधारी सिंह दिनकर छायावादी युग के कवि थे। और वे छायादार युग के प्रथम कवि थे

8. दिनकर का पहला कविता संग्रह किस वर्ष प्रकाशित हुआ था?

दिनकर का पहला कविता संग्रह वर्ष 1928 में प्रकाशित हुआ था।

9. दिनकर का प्रथम काव्य संग्रह कौन सा था ?

दिनकर का पहला कविता संग्रह विजय संदेश था।

10. रामधारी सिंह दिनकर का हिन्दी साहित्य में क्या योगदान है?

राष्ट्रीय कवि रामधारी सिंह दिनकर ने हिन्दी साहित्य में वीर रस की कृतियों को नई ऊंचाई दी, और साथ ही अपनी रचनाओं से राष्ट्रीय चेतना जगाई। दिनकर ने टैगोर की रचनाओं का बांग्ला से हिंदी में अनुवाद किया। दिनकर का पहला कविता संग्रह, विजय संदेश, वर्ष 1928 में प्रकाशित हुआ था। दिनकर की भाषा शुद्ध साहित्यिक खारी बोली है। उन्होंने कहावतों का स्वाभाविक प्रयोग भी किया है। आलोचनात्मक, आलोचनात्मक, भावनात्मक संज्ञानात्मक शैली उनकी शैलियों में प्रमुख है।

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