shaheed diwas kyu manaya jata hai hindi

शहीद दिवस क्यों मनाया जाता है ?

आपलोगो ने एक न एक बार यह जरूर सोचा होगा की शहीद दिवस क्यों मनाया जाता है ? “shaheed diwas kyu manaya jata hai hindi” भारत में शहीद दिवस दो अलग अलग तारीको को मनाया जाता है। इस दिन को मनाये जाने का एकमात्र उदेश्य है उन स्वतंत्रता सेलानियो को श्रद्धांजलि अर्पित करना है जिन्होने देश के खातिर हस्ते हस्ते अपनी जिंदगी निछावर कर दी।

शहीद दिवस क्यों मनाया जाता है ? | Shaheed diwas kyu manaya jata hai hindi

जैसा की हमने ऊपर पढ़ा था की शहीद दिवस क्यों मनाया जाता है ? “shaheed diwas kyu manaya jata hai hindi” लेकिन यह दो अलग अलग तरीक को मनाया जाता है 30 जनवरी को और 23 मार्च को, इसे दो अलग अलग तरीक को मनाए जाने का एक-मात्र कारण यह है की 30 जनवरी को शहीद दिवस महात्मा गाँधी जी की याद में मनाया जाता है। क्योकी इसी दिन 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने महात्मा गाँधी जी को गोली मर कर उनकी हत्या कर दी थी। और 23 मार्च को यह दिन भारत के तीन बहादुर क्रांतिकारियों भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव की याद में मनाया जाता है। 23 मार्च 1931 को इन तीनो साहसी क्रांतीकारियो को लाहौर में फांसी दी गई थी।

जनवरी 30 को शहीद दिवस क्यों मनाया जाता है ?

गांधी जी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे वह एक महान संकल्प वाले एक साधारण से व्यक्ति थे। वह एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने भारत को आजाद करने के लिये नजाने कितने आंदोलन और प्रदर्शन किये, वह एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता, कल्याण, और विकास के लिया अपनी जिंदगी का बलिदान दिया था। इसी दिन 30 जनवरी, 1948 को उनकी शाम की प्रार्थना के दौरान बिड़ला हाउस में नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर की थी उनकी हत्या, नाथूराम गोडसे गांधी जी को मरकर अपने अपराद को सही ठहरने के लिये कह रहा था की वह देश के बटवारे और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हजारों लोगों की मोत के लिए जिम्मेदार है। इसी लिये 30 जनवरी को सहीद दिवस मनाया जाता है।

मार्च 23 को शहीद दिवस क्यों मनाया जाता है ?

जैसा की हमने पढ़ा था 30 जनवरी को शहीद दिवस गाँधी जी की याद में मनाया जाता है, उसी प्रकार 23 मार्च को भारत की तीन सधारद और महान स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी दी गई थी उनकी याद में इस दिन शहीद दिवस मनाया जाता है। 

अंग्रेजों ने, 23 मार्च को हमारे देश के तीन महान स्वतंत्रता सेनानि भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर को फांसी दे दी थी। यह मानने से कोई इनकार नही कर सकता की उन्होंने हमारे देश की आजादी के लिया अपनी जिंदगी की भी परवाह नही करी, चाहे उन्होंने महात्मा गांधी से अलग रास्ता चुना हो, लेकिन कोई यह नही कह सकता की उन्होंने देश की लिये कुछ किया नहीं और ना ही इसे उनका अपने देश के प्रति प्रेम कम हुआ।

वह भारत के युवाओ के लिये एक प्रेरणा श्रोत है, उन्होंने अपनी जान की परवाह ना करते हुआ इतनी कम उम्र में देश के लिये अपना बलिदान दे दिया। आज की पीढ़ी को उनसे कुछ सीख लानी चाहिये और उनकी राह पर चलना चाहिए और दुसरो को भी शहीद भगत सींग जैसा बन्ने की प्रेरणा देनी चाहिए।

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