What is economics in hindi

अर्थशास्त्र क्या है हिंदी में | What is economics in hindi

अर्थशास्त्र विज्ञानं में नवीनतम, कला विज्ञान में सबसे प्राचीनतम तथा सभी समाजिक विज्ञानं की रानी है | अर्थशास्त्र में वस्तुओ के विनिमय , उत्पादन ,वितरण एवं उपभोग का अध्यंयन किया जाता है | इससे हम सरल भाषा या शाब्दिक अर्थ में धन का अध्ययन भी कह सकते है | अर्थशास्त्र का उपयोग यह जानने में भी किया जाता है की अर्थव्य्वश्था कैसे काम करती है , और समाज के बिभिन भागो के बिच आर्थिक सम्भन्ध कैसे है | अर्थशास्त्र को दो भागो में बिभाजित कर पढ़ा जाता है , पहला व्यष्टि अर्थशास्त्र और दूसरा समष्टि अर्थशास्त्र| इनके बारे में हम निचे आर्टिकल में पढ़ेंगे,अब हम जानते है की अर्थव्यवस्था और अर्थशास्त्र में क्या अंतर है | 

Table of Contents

अर्थशास्त्र और अर्थव्यस्था में अंतर / Difference between Economy and Economics in hindi 

र्थशास्त्र/ ECONOMICS IN HINDI 
अर्थशास्त्र बिभिन आर्थिक एजेंट्स के कार्य एवं प्रदर्शन पर नजर रखता है | इसका मैं कार्य आर्थिक कारको पर नजर रखना और उनका बिश्लेषण करना है | 
इसमें  अर्थशात्र को हम दो हिशो में पढ़ते है | पहला व्यष्टि अर्थशास्त्र और समष्टि अर्थशास्त्
अर्थव्यवस्था/ ECONOMY IN HINDI  
एक विस्तार जिसमे आर्थिक कार्य किये जाते है | जैसे की वस्तुओ का उत्पादन , वितरण, वुनिमय और उपभोग आदि आर्थिक क्रियाये | इसे एक सामाजिक क्षेत्र के रूप में माना जाता है जो विभिन्न संसाधनों के उत्पादन और प्रबंधन से जुड़ी प्रथाओं पर जोर देने के लिए जिम्मेदार है।गतिविधियों को उत्पादन के कारण प्रेरित माना जाता है जो प्राकृतिक संसाधनों, श्रम और पूंजी के उपयोग के लिए जिम्मेदार है|  
इसके आधार पर इकॉनमी तीन प्रकार की होती है|  पूंजीवादी, मिश्रित अर्थव्यवस्था, बाजार आधारित अर्थव्यवस्था|
Difference between Economy and Economics in hindi

आर्थिक कारक अर्थव्यवश्ता को कैसे प्रभावित करती है /(Economics in hindi ) Factors Affecting Economic Eevelopment 

प्राकृतिक संसाधन

प्राकृतिक संसाधन में,भूमि क्षेत्र और मिट्टी की गुणवत्ता, वन संपदा, एक अच्छी नदी प्रणाली, खनिज और तेल संसाधन, एक अनुकूल जलवायु,शामिल है | अर्थव्यस्था को प्रभावित करने के लिए इन् सभी शाधनो का होना सबसे जड़ा अनिवार्य है | 

पूंजी निर्माण

पूंजी निर्माण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक समुदाय की बचत को पूंजीगत वस्तुओं जैसे संयंत्र, उपकरण और मशीनरी के निवेश में लगाया जाता है, जो देश की उत्पादक क्षमता और श्रमिक दक्षता को बढ़ाता है, जिससे देश में वस्तुओं और सेवाओं का अधिक प्रवाह सुनिश्चित होता है।

तकनिकी प्रगति

तकनीकी प्रगति में मुख्य रूप से उत्पादन के नए और बेहतर तरीकों के उपयोग या मौजूदा तरीकों में सुधार के लिए अनुसंधान शामिल है। तकनिकी विकाश प्राकृतिक ससाधनो का अछि तरह उपयोग करने में मद्दद करती है |United States, United Kingdom, France, Japan ने एडवांस तकनीको की मदद से  औद्योगिक विकास की उचाईयो को प्राप्त किया है | 

जनसंख्या वृद्धि

श्रम आपूर्ति में बृद्धि , जन्शंख्या बृद्धि का का परिणाम है , जो वस्तुओं और सेवाओं के लिए एक ब्रा बाजार का निर्माण करता है | अधिक श्रम अधिक उत्पादन करता है, जो की एक बारे बाजार अवशोषित करता है | 

मानव संसाधन विकास

आर्थिक विकास की गुणवत्ता के स्तर को निर्धारित करने में जन्शंख्या की अच्छी गुणवत्ता महत्वपूर्ण है | मानव संसाधन विकास लोगों के ज्ञान, कौशल और क्षमताओं में सुधार करता है, जिससे उनकी उत्पादकता में वृद्धि होती है।

अर्थशास्त्र का इतिहास /History of Economics in Hindi 

भारत में अर्थशास्त्र

भारत की अर्थशास्त्र की बात करे तो अभी कौटिल्य अर्थशत्र चल रही है | यह एक क्रमबद्ध ग्रन्थ है जोकि अर्थशास्त्र की पूरी और सही जानकारी प्रदान करता है | अब कौटिल्य के बारे में बात करे तो इन्हे चाणक्य के नाम से भी जानते है , यह चन्द्रगुप्त मौर्या के गुरु और मंत्री थे | कौटिल्य अर्थशत्र के एक बहुत बड़े ज्ञाता थे जो और भी बहुत सी कलावो में निपुण थे |

अर्थशास्त्र भारत में आयी एक प्राचीन बिधा है | वैदिक कल के चार वेदो  में से एक था अर्थ वेद , परन्तु अब यह उपलब्ध नहीं है | अर्थशात्र के सबसे पहले गुरु बृहपति माना जाता है | उनका अर्थशास्त्र सूत्रों के रूप में उपपलब्ध है | परन्तु उसमे अर्थशात्र के सभी ककरो को नहीं बताया गया है | 

पाश्चात्य अर्थशास्त्र

पाश्चात्य अर्थशास्त्र के अनुशार  ऐडम स्मिथ को अर्थशास्त्र का जनक मन गया है | वर्तमानकाल में अर्थशास्त्र का विकाश पाश्चात्य देशो में हुआ |  ऐडम स्मिथ ने वेल्थ ऑफ़ नेशन नाम के किताब की रचना की | उनके बाद माल्थस, रिकार्डो, मिल, जेवंस, काल मार्क्स, सिज़विक, मार्शल, वाकर, टासिग ओर राबिंस ने अर्थशास्त्र संबंधी विषयों पर सुंदर रचनाएँ कीं | कार्ल मार्क्स के समान समाजवादियों का है, जो मनुष्य के श्रम को ही उत्पति का साधन मानता है और पूंजीपतियों तथा जमींदारों का नाश करके मजदूरों की उन्नति चाहता है| 

मूल अवधारणाएँ/Basic concept of Economics in hindi

मूल्य

अर्थव्वस्था में केंद्रीय अवधारणा मूल्य है | ऐडम स्मिथ मूल्य को शर्म से परिभाषित किया है | मूल्य के शर्म सिद्धांत को कार्ल मार्क्स से लेकर कई अर्थशास्त्रो ने दिया है | मूल्यों को वश्तु के बाज़ार भाव से भी मापा जा सकता है | श्रम सिद्धांत मूल्य के उत्पादन लगत सिद्धांत से सम्बन्धित है | 

मांग 

किसी नियत अवधि में किसी उत्पाद की वह मात्रा है, जिसे फिक्स्ड  दाम पर उपभोक्ता खरीदना चाहता है , और खरीदने में सक्षम है। माँग को सामान्यत  एक तालिका या ग्राफ़ के रूप में प्रदर्शित करते हैं, जिसमें कीमत और मात्रा का संबन्ध दिखाया जाता है।

आपूर्ति 

किसी नियत अवधि पर किसी बिक्रये की वह मात्रा जो नियत डैम पर बिक्रेता बज़्ज़ार में या उपभोक्ता को बेचना चाहता है , और बेचने में सक्षम है | इससे एक तालिका के दवरा दिखाया जाता है जिसमे कीमत और मात्रा दर्शयी जाती है | 

उत्पादन 

उत्पादन मांग और आपूर्ति की प्रक्रिया को पूरा करने वाली प्रक्रिया है जो की मटेरियल इनपुट और इम्तेरिअल इनपुट्स के संयोजन से पूरा किया जाता है | उत्पादन पर केंद्रित अर्थशास्त्र के क्षेत्र को उत्पादन सिद्धांत कहा जाता है, जो अर्थशास्त्र के उपभोग (या उपभोक्ता) सिद्धांत से जुड़ा हुआ है।

उपभोग 

उपभोक्ता की वर्तमान जरूरत और उन वर्तमान जरूरतों को पूरा करने के लिए , संशाधनो का उपभोग करने का कार्य है | इससे निवेश के बिपरीत देखा जाता है | खपत अर्थशास्त्र में एक प्रमुख अवधारणा है | और कई अन्य सामजिक विज्ञानो में इस्सके अध्ययन किया जाता है | 

वितरण 

उत्पादन, आय या धन व्यक्तियों के बीच या उत्पादन के कारकों (जैसे श्रम, भूमि और पूंजी) के बीच जिस प्रक्रिया से कुल को वितरित किया जाता है, उसे वितरण कहा जाता है | 

अर्थशास्त्र के भाग / parts of Economics in Hindi 

व्यष्टि अर्थशास्त्र (Micro Economics economics in hindi )

सूक्ष्मअर्थशास्त्र मुख्यधारा के अर्थशास्त्र की एक शाखा है जो दुर्लभ संसाधनों के आवंटन और इन व्यक्तियों और फर्मों के बीच बातचीत के संबंध में निर्णय लेने में व्यक्तियों और फर्मों के व्यवहार का अध्ययन करती है। सूक्ष्मअर्थशास्त्र संपूर्ण राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के विपरीत व्यक्तिगत बाजारों, क्षेत्रों या उद्योगों के अध्ययन पर केंद्रित है, जिसका अध्ययन मैक्रोइकॉनॉमिक्स में किया जाता है।

  • व्यक्ति को अधिकतम करने वाले एकल तर्कसंगत और उपयोगिता का अध्ययन।

इसको हम निचे दिए गए सिधान्तो से और अचे से जान पाएंगे | 

  • उपभोक्ता मांग सिद्धांत
  • उत्पादन सिद्धांत
  • मूल्य के उत्पादन की लागत सिद्धांत
  • मूल्य सिद्धांत
  • अवसर लागत

समष्टि अर्थशास्त्र (Macro Economics in hindi)

मैक्रोइकॉनॉमिक्स विकास, मुद्रास्फीति और बेरोजगारी के मुद्दों से निपटने और इन मुद्दों से संबंधित राष्ट्रीय नीतियों के साथ आर्थिक गतिविधियों के कुल योग पर केंद्रित है। सूक्ष्मअर्थशास्त्र भी आर्थिक नीतियों (जैसे कराधान के स्तर में परिवर्तन) के सूक्ष्म आर्थिक व्यवहार पर और इस प्रकार अर्थव्यवस्था के उपरोक्त पहलुओं पर पड़ने वाले प्रभावों से संबंधित है।

इन् सभी मॉडल्स से हम समष्टि अर्थशास्त्र के बारे में और अच्छे से जान पाएंगे

  • सकल मांग-कुल आपूर्ति
  • आईएस-एलएम
  • विकास मॉडल

अर्थशास्त्र की आर्थिक प्रणालीया /Economic system of Economics in Hindi 

पूंजीवादी अर्थव्वस्था /Capitalistic Economy

यह एक आर्थिक प्रणाली है जिसमे उत्पादन के कारक पूंजीगत सामान, प्राकृतक संशाधन,श्रम , उधमिता जी व्यवसायों द्वारा नियंत्रित और विनमियित किये जाते है | उनका उद्देश्य अपना फायदा करना होता है | 

समाजवादी अर्थव्वस्था /Socialistic Economy

मार्क्सवादी अर्थशास्त्र ने पूंजीवाद के विश्लेषण के आधार पर समाजवाद की नींव प्रदान की[ वह सरकार प्राथमिक इकाई है और यह समाज की आवश्यकताओं के अनुरूप निर्मित उत्पादों और सेवाओं पर निर्णय लेती है। उत्पादन के साधनों पर भी उनका पूर्ण नियंत्रण होता है। इस अर्थव्यवस्था में वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन का मुख्य उद्देश्य लाभ नहीं बल्कि सामाजिक कल्याण है, और इस प्रकार एक व्यक्तिगत खरीदार की जरूरतें और इच्छाएं आवश्यक नहीं हैं।

 मिश्रित अर्थव्वस्था /Mixed Economy

निजी और सार्वजनिक क्षेत्र सह-अस्तित्व में हैं। आर्थिक गतिविधि सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था के विशेष रूप से सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों की ओर निर्देशित होती है, और संतुलन मूल्य निर्धारण तंत्र के संचालन द्वारा निर्धारित किया जाता है।सार्वजनिक और निजी क्षेत्र एक सामान्य आर्थिक योजना के ढांचे के भीतर सामाजिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए सहयोग करते हैं | 

अर्थशास्त्र में आर्थिक नीतिया / Economic Policies in Economics 

  • मौद्रिक निति 
  • राजकोषीय निति 
  • मूल्य निति 
  • आये निति 
  • रोजगार निति 
  • आर्थिक नियोजन 

 अर्थशास्त्र के विख्यात अर्थशात्री /Famous Economists

  • आदम स्मिथ 
  • जॉन मेनार्ड कीन्स 
  • कार्ल मार्क्स 
  • माल्थस
  •  रिकार्डो 
  • मिल
  •  जेवंस
  •  काल मार्क्स
  •  सिज़विक
  •  मार्शल
  • वाकर 
  • टासिग 
  • राबिंस

भारतीय अर्थशस्त्री/ Famous Indian Economists

(1) Dadabhai Naoroji (1825),

(2) Mahadev Govind Ranade (1842),

(3) Ramesh Chandra Dutt (1846),

(4) Mahatma Gandhi (1869),

(5) Gopal Krishna Gokhale (1866),

(6) Visvesvaraya (1861),

(7) Babasaheb Ambedkar [3] (1891),

(8) Manmohan Singh (1932)

(9) Amartya Sen (1933) and

(10) The name of Narendra Jadhav (1950) is notable.

अर्थशास्त्र के लक्ष्य /The goal of Economics in Hindi 

  1. आर्थिक विकास/Economic Growth

एक नसमय अवधि कल के दौरान वास्तु और सेवाओ के इन्फ्लेशन अडजस्टेड मार्किट वैल्यू में बढ़ोतरी को दर्शाता है | सांख्यिकीविद पारंपरिक रूप से इस तरह की वृद्धि को वास्तविक GDP या REAL GDP में वृद्धि की प्रतिशत दर के रूप में मापते हैं।

  1.  पूर्ण रोज़गार/Full Employment:

पूर्ण रोजगार एक ऐसी स्थिति है जिसमें कोई चक्रीय या कम-मांग वाली बेरोजगारी नहीं होती है।पूर्ण रोजगार उस बिंदु को चिह्नित करता है, जो विस्तारवादी राजकोषीय और  मौद्रिक नीति मुद्रास्फीति पैदा किए बिना बेरोजगारी कम नहीं कर सकता है।

  1.  मूल्य स्थिरता या मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना/Price Stability or Controlling Inflation:

यदि कीमतें अपने लक्ष्य से अधिक तेजी से बढ़ती हैं, तो केंद्रीय बैंक ब्याज दरों या अन्य तेजतर्रार नीतियों को बढ़ाकर मौद्रिक नीति को सख्त करते हैं। उच्च ब्याज दरें उधार को और अधिक महंगा बना देती हैं, जिससे खपत और निवेश दोनों कम हो जाते हैं, जो दोनों ही ऋण पर बहुत अधिक निर्भर करते हैं

  1. भुगतान संतुलन/The balance of payment:

यह एक निश्चित अवधि के लिए वस्तुओं और सेवाओं के सभी निर्यात और आयात के लेनदेन की जांच करता है। यह सरकार को किसी विशेष उद्योग निर्यात वृद्धि की क्षमता का विश्लेषण करने और उस विकास का समर्थन करने के लिए नीति तैयार करने में मदद करता है। यह सरकार को आयात और निर्यात शुल्क की एक अलग श्रेणी पर एक व्यापक परिप्रेक्ष्य देता है। फिर सरकार आयात को हतोत्साहित करने और निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए कर को बढ़ाने और घटाने के उपाय करती है, और आत्मनिर्भर होती है।

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